हो कृतज्ञ हे देवभाषा,तुझे माँ का दर्जा देता हूँ
तेरे शब्दो को प्रयोग करने का रोज मैं कर्जा लेता हूँ ।
मेरे सारे लेखन में तू ही दीया, तू बाति है,
भावो से मैं जब भर जाता तू ही निकल के आती है।
ऐ हिंदी तू न होती तो मेरी डायरी खाली होती,
तुझसे ही हूँ हरा-भरा,नही तो सुखी डाली होती।
इस भारत की आन बान और शान हमेशा हिंदी रहेगी ,
है सुहागिन भारतीय संस्कृति, जबतक तू माथे की बिंदी रहेगी।
हिंदी♥️